

इन पर सिसोदिया कोई जवाब नहीं दे सके।
उनके खिलाफ ये कार्रवाई किन आधारों पर हुई है, ये भी सामने आ गया है. सूत्रों का कहना है कि सीबीआई ने घोटाला मामले में पूछताछ के दौरान उनके खिलाफ कई सबूत रखे. इसमें कुछ दस्तावेज और डिजिटल एविडेंस (Digital Evidence) थे. इन पर सिसोदिया कोई जवाब नहीं दे सके।जबकि इससे पहले मीडिया ट्रायल और इमानदारी का बड़ा दिखावा कर रहे थे।
*सीबीआई और ईडी को पूरी मनी ट्रेल मिल गई। बताया जाता है कि इस कांड को कारित करने वालों ने 200 फोन बदले और उन फोन को यह कुछ हफ्ते उपयोग करने के बाद तोड़कर भट्टी में जला देते थे लेकिन एप्पल के सर्वर से और गूगल यानी एंड्रॉयड के सर्वर से काफी जानकारी सीबीआई को मिल गई है*
सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को सबूतों को नष्ट करने का भी आरोपी पाया है. इसमें उनकी मिलीभगत सामने आई है. मामले में उस ब्यूरोक्रैट का बयान बेहद अहम है, जिसने सीबीआई को दिए अपने बयान में कहा था कि एक्साइज पॉलिसी तैयार करने में सिसोदिया ने अहम भूमिका निभाई थी और जीओएम (Group of Ministers) के सामने आबकारी नीति रखने से पहले कुछ निर्देश भी दिए गए थे। Quiz banner
शराब नीति केस में CBI ने 8 घंटे पूछताछ की थी; IAS अफसर ने लिया था मनीष का नाम।
शराब नीति केस में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को CBI ने रविवार शाम गिरफ्तार कर लिया। CBI ने 8 घंटे लंबी पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि आबकारी विभाग के एक IAS अफसर ने CBI की पूछताछ में सिसोदिया का नाम लिया था। इस अफसर ने बताया था कि सिसोदिया ने ऐसी शराब नीति बनवाई थी, जिससे सरकार को मुनाफा नहीं हो, व्यापारियों को मोटा फायदा हो। इसी बयान के आधार पर सिसोदिया से पूछताछ की गई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अफसर ने सिसोदिया पर सबूत नष्ट करने का भी आरोप लगाया था। CBI ने सिसोदिया और अफसर को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की तो उन्होंने कई सवालों के जवाब नहीं दिए। यही सिसोदिया की गिरफ्तारी की वजह बनी। सिसोदिया को सोमवार दोपहर कोर्ट में पेश किया जाएगा। इससे पहले उनका मेडिकल टेस्ट होगा। सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद CBI मुख्यालय के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
पूछताछ के लिए जाने से पहले सिसोदिया ने अपनी कार के सनरूफ से निकलकर समर्थकों का अभिवादन किया। वे समर्थकों की भीड़ के साथ सीधे राजघाट के लिए निकले। इसके बाद वे CBI ऑफिस गए।
CBI ने पिछले साल 19 अगस्त को मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की थी। इसमें तत्कालीन एक्साइज कमिश्नर समेत तीन अफसर, दो कंपनियां और नौ कारोबारी शामिल थे। CBI ने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट के आधार पर केस दर्ज किया था।
कहा गया है कि 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को एक रिपोर्ट भेजी थी। इसमें एक्साइज मंत्री सिसोदिया पर उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना नई आबकारी नीति बनाकर फर्जी तरीके से पैसा कमाने का आरोप लगाया था।
रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के समय शराब विक्रेताओं ने लाइसेंस शुल्क माफी के लिए दिल्ली सरकार से संपर्क किया। सरकार ने 28 दिसंबर से 27 जनवरी तक लाइसेंस शुल्क में 24.02% की छूट दे दी थी। इससे सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
तीन गवाहों ने कहा है जिसमें सबसे बड़ा गवाह विजय नायर है उसने 200 करोड़ रुपए मनीष सिसोदिया को दिए थे उसमें से ₹30 करोड़ रुपये गोवा चुनाव के लिए और 50 करोड़ रुपये गुजरात चुनाव के लिए प्रयुक्त होने थे
विजय नायर दिल्ली के सिविल लाइंस में कैबिनेट मंत्री के नाम एलॉट बंगले में रहता था यह बंगला दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के नाम एलॉट था लेकिन कैलाश गहलोत अपने निजी घर में रहते थे और उसी बंगले पर पूरी लेनदेन की जाती थी सीबीआई को बहुत सारी इलेक्ट्रॉनिक्स सुबूत मिले हैं उसके अलावा आपस में बातचीत करने के लिए 2 इंटरनेट ऐप का इस्तेमाल करती थी उस ऐप के सर्वर से ही सीबीआई ने काफी जानकारी जुटा ली है
सबसे बड़ी गवाही समीर समीर महेंद्रु की है जिस ने सीबीआई को साफ कहा है की नई आबकारी पालिसी कैबिनेट में और विधानसभा में पेश करने के पहले ही उसे और 8 अन्य शराब कंपनियों को दे दी गई थी
6 घंटे पहले पूछताछ के लिए जाते वक्त मनीष सिसोदिया ने कहा- हम पुलिस, CBI, ED या जेल किसी से नहीं डरते, लेकिन भाजपा के लोग सिसोदिया और केजरीवाल से डरते हैं।
नई नीति नवंबर 2021 में लाई गई थी जिसके तहत दिल्ली में शराब की बिक्री के पूरे तंत्र में व्यापक परिवर्तन लाए गए थे. सरकार पूरी तरह से ग्राहकों को शराब बेचने के व्यापार से बाहर निकल गई थी और शराब की सभी सरकारी दुकानों को बंद कर दिया गया था.
शराब का खुदरा व्यापार पूरी तरह से निजी कंपनियों के हाथ में सौंप दिया गया था। उससे पहले शराब की बिक्री से दिल्ली सरकार की 6,000 करोड़ रुपए सालाना कमाई होती थी और सरकार को उम्मीद थी कि नई नीति के बाद यह बढ़ कर 9,500 करोड़ हो जाएगी।