*योगिनीवृन्दवन्द्यश्री: शत्रुघ्नोऽनन्तविक्रम:* *ब्रह्मचारीन्द्रियरिपुर्धृतदण्डो दशात्मक:।* *अप्रपञ्च: सदाचार: शूरसेनाविदारक:* *वृद्ध: प्रमोद आनन्द: सप्तदीपपतिन्धर:।।* *योगिनीवृन्द के द्वारा वन्दनीय शोभास्वरूप, शत्रुओं का हनन करने वाले, अपारपराक्रशाली, ब्रह्मा में विचरण
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