शिक्षिका ने पौड़ी के सरकारी विद्यालय की तस्वीर बदल दी

 तस्वीरें एक सरकारी विद्यालय की है, यदि बच्चों के पीछे की बैकग्राउंड से स्कूल का चित्र हटा दिया जाय तो इसे देखने से यह किसी प्राइवेट स्कूल का नज़ारा लगता है. यह उन लोंगों के मुंह पर एक करारा तमाचा है जो कहते हैं  सरकारी प्राथमिक स्कूलों में कुछ नहीं हो सकता. इस विद्यालय का नाम है विद्यालय राजकीय प्राथमिक विद्यालय नीलकंठ, वि०ख० यमकेश्वर. पौड़ी गढ़वाल विद्यालय की प्रधानाध्यापिका श्रीमती रीना सेमवाल प्रधान शिक्षिका के प्रयासों से विद्यालय ने काफी उन्नति की है, परीक्षा परिणाम में गुणात्मक सुधार हुआ। छात्र संख्या में इजाफा हुआ है। लेकिन सच ये है कि इस तरह के प्रयास कम ही विद्यालयों के शिक्षक कर पा रहे हैं। देखने में आया कि आरक्षण से आये शिक्षक तो ऐसे नवाचारी प्रयोग करने में न केवल  फिस्सड्डी साबित हुए हैं बल्कि वे सरकार द्वारा दी गई सुविधाओं का लाभ भी विद्यालयों को ठीक से नहीं दे पाते। बल्कि हर सरकारी सुविधा के लिए उनके पास एक समस्या तैयार रहती है।  जबकि अवसर सबको समान रूप से मिलता है। इसीलिए अब शिक्षा स्वास्थ्य इंजीनियरिंग और एडमिनिस्ट्रेशन के क्षेत्र में आरक्षण की बजाय उच्चतम योग्यता को प्राथमिकता देने की आवश्यकता तेजी से अनुभव की जा रही है।