आज राजनीति के शोर, आरोप-प्रत्यारोप और अवसरवाद के बीच
अगर कोई नाम ईमानदारी, कर्मठता और निष्ठा का पर्याय बनकर खड़ा है
तो वो नाम है — आदरणीय नितिन गडकरी जी।
पार्टी बदली जा सकती है, विचार बदले जा सकते हैं,
पर गडकरी जी जैसे लोग विचारों को जीते हैं,
सत्ता को नहीं।
जिस समय राजनीति में
“क्या मिलेगा?” पूछा जाता है,
उस समय गडकरी जी पूछते हैं —
“देश को क्या मिलेगा?”
परिवहन मंत्रालय जब उनके हाथों में आया,
तो सड़कें सिर्फ़ कंक्रीट नहीं रहीं,
वो भारत की धमनियाँ बन गईं।
जहाँ पहले घंटों का सफ़र था,
वहाँ अब मिनटों में दूरी सिमट गई।
जहाँ हादसे थे, वहाँ अब सुरक्षा है।
जहाँ भ्रष्टाचार की चर्चा थी,
वहाँ अब ट्रांसपेरेंसी और टाइमलाइन है।
जहाँ पहले फ़ाइलें सालों धूल खाती थीं,
वहाँ गडकरी जी ने
डेडलाइन और जवाबदेही को संस्कृति बना दिया।
जहाँ ठेकेदार सिस्टम से खेलते थे,
वहाँ ट्रांसपेरेंसी आई।
जहाँ रिश्वत की फुसफुसाहट थी,
वहाँ काम की गूंज सुनाई देने लगी।
इतने बड़े मंत्रालय में,
इतने हज़ारों करोड़ के प्रोजेक्ट्स के बीच—
अगर आज भी कोई नेता
बेदाग़, बेआरोप और बेखौफ़ है,
तो वो सिर्फ़ नितिन गडकरी जी हैं।
सबसे बड़ी बात —
इतनी ताक़त, इतना बजट, इतना प्रभाव होने के बाद भी
नितिन गडकरी जी के नाम के साथ
आज तक कोई घोटाले की दाग़दार स्याही नहीं लगी।
हाईवे, एक्सप्रेसवे, फ्लाईओवर,
टनल, लॉजिस्टिक्स पार्क—
ये सब सिर्फ़ प्रोजेक्ट नहीं,
ये उस आदमी की सोच हैं
जो फाइलों से ज़्यादा फील्ड में रहता है।
आज की राजनीति में
ये अपने आप में एक क्रांति है।
वो बोलते कम हैं,
काम ज़्यादा करते हैं।
वो प्रचार से नहीं,
परिणाम से पहचान बनाते हैं।
पार्टी के लिए उनकी निष्ठा दिखावे की नहीं,
तपस्या की तरह है।
ना विद्रोह, ना शर्तें,
ना सत्ता की सौदेबाज़ी।
जहाँ जिम्मेदारी मिली,
वहाँ पूरी ईमानदारी से निभाई।
आज यदि कोई नेता
हर वर्ग में सम्मान पाता है—
चाहे समर्थक हो या विरोधी—
तो वो इसलिए कि
देश उनके इरादों पर शक नहीं करता।
नितिन गडकरी जी
सिर्फ़ एक मंत्री नहीं,
वो उस राजनीति की याद दिलाते हैं
जिस पर कभी हमें गर्व हुआ करता था।🙏
देश को ऐसे कर्मयोगी लंबे समय तक मिलते रहें—
यही कामना है।
सलाम है नितिन गडकरी जी को।
ईमानदारी, निष्ठा और राष्ट्रनिर्माण के लिए। 🇮🇳
