डीएम, सीएम और पीएम द्वारा उत्तराखंड के वस्त्रों का प्रचार प्रसार भी बड़ी उपलब्धि है

शोभनीययम् वस्त्र विन्यास एवं श्रृंगार में पौड़ी गढ़वाल की जिलाधिकारी। अपने वस्त्र विन्यास के प्रति उत्तराखंड के लोगों को ऐसे ही जागरूक होना चाहिए। डीएम स्वाती भदौरिया और पौड़ी श्रीनगर की अन्य महिला जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने राज्य स्थापना रजत जयंती सप्ताह के मध्य श्रीनगर बैकुंठ चतुर्दशी मेले के अवसर पर जो यहां के स्थानीय परिधान धारण किये इससे उन्होंने स्वयं तो सराहना पायी ही साथ ही इन स्थानीय वस्त्रों का प्रचार प्रसार भी हुआ। यहां उत्तराखंड में जिन्हें अपने परिधान पहनने में संकोच होता था वे अब इन्हें गर्व से पहनेंगे।

जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने उत्तराखंड आने पर अनेक अवसरों पर यहाँ तक कि स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले में भी ब्रह्म कमल वाली उत्तराखंड की टोपी पहनी तो सौ रूपये की यह टोपी पांच सौ रूपये तक बिकने लगी है। इसकी मांग भी बढने लगी है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी यथोचित स्थान पर उत्तराखंड की काली टोपी पहनते हैं, एनएसए अजीत डोभाल भी जब अपने गांव आते हैं तो हैं तो ठेठ गढ़वाली काली टोपी पहनते हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट भी यदा कदा पहाड़ी टोपी में दिखते हैं। इस बार देहरादून में गणतंत्र दिवस की परेड के समय गढ़वाल की ये वस्त्र खूब पहने जायेंगे, इससे इनका व्यपार भी बढेगा। स्वाति भदौरिया ने जो स्थानीय वस्त्र पहने वे सीमांत चमोली के भोटिया जनजाति के लोग शदियों से पहनते हैं। उन्होंने आज भी अपने स्थानीय परिधान और जेवर त्यागे नहीं हैं। कुछ इसी से मिलते जुलते चमोली के गांवों में बुजुर्गों महिलायें आज पहनती हैं। यदि इन वस्त्रों का ऐसे ही प्रचार प्रसार हुआ तो यह उत्तराखंड ही नहीं देश की पहचान बन सकती है। पूरे उत्तर भारत के लिए शीत ऋतु के लिए यह स्वास्थ्यकर पहनावा है। यूं कहें परफैक्ट ड्रेस है।✍️ डाॅ0 हरीश मैखुरी