भारत विभाजन के जिम्मेदारों और उस विभीषिका के दोषियों के कृत्य भी प्रकाश में लाने का यही समय है ताकि ऐसी त्रासदी देश को फिर कभी ना देखनी पड़े

सभी मित्रों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई। मित्रों हमारा देश आठ सौ वर्ष दुर्दांत हिंसक लुटेरे मुगल आक्रांताओं और इसी के उपर से दो सौ वर्ष यूरोपीय लुटेरे अंग्रेज कबीलों से लड़ता रहा है। मुगलों ने अखंड भारत में लगभग दो करोड़ हिन्दूओं का नरसंहार किया तीस हजार मंदिर लूटे तोड़े और उन पर ढांचे चढ़ाये दो लाख गुरूकुल और दस बड़े विश्वविद्यालय नष्ट किए, जबकि अंग्रेज लुटेरों ने स्वतंत्रता संग्राम में करीब बीस लाख भारतियों का बलिदान हुआ, देश के संसाधन लूट कर इंग्लैंड पंहुचाया और वहां से शासन तंत्र चलाया, स्वतंत्रता संघर्ष में १९४८ में अंग्रेजों ने भारत छोड़ने से पहले देश के अपने जैसे ही कुछ षडयंत्रकारियों को आगे कर भारत का विभाजन करा दिया। और इस्लामिक मजहबी उन्माद को शांत करने के बहाने हुए उस विभाजन की त्रासदी के दिन को स्वतंत्रता दिवस कहा गया। स्वतंत्रता दिवस है भी, क्यों कि देश के लिए निर्णय लेने की शक्ति उस दिन अंग्रेजों से भारतियों के हाथ में आ गयी थी। लेकिन उस विध्वंसकारी विभाजन में पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान बना दिया गया, भारत के तीन हिस्सों में बंट गया, उस दौर के बुजूर्गों ने बताया कि इस कारण पाकिस्तान में कुछ ही समय में १८ लाख से अधिक हिन्दूओं का नरसंहार हुआ लाहोर से भारत आने वाली रेल गाडियों में लाशें भर कर आती रही रेलवे लाईनें और स्टेशन उनकी लाशों से अटे पडे़ थे उनकी लाशें नोचने के लिए चील और कुत्ते कम पड़ गये, महिनों लाशों के अंबार सड़ते गलते रहे। इस त्रासदी और विभाजन के खलनायकों को चिन्हित करने उनकी समीक्षा का यही समय है। क्या जिस मजहब के आधार पर भारत पाकिस्तान का विभाजन हुआ वो समस्या हल हुई या नहीं क्या अंग्रेजी व्यवस्था भारत से पूरी तरह समाप्त हुई या नहीं इसकी समीक्षा आवश्यक है। क्या भारत का विभाजन नेहरू जिन्ना फारूख शेख आदि चंद लोगों की निजी महत्वाकांक्षाएं थी? क्या गांधी की इसमें सहमति थी या वे विवश और असहाय हो चुके थे जो भारत विभाजन रोकने में सफल नहीं हुए या विभाजन में उनकी भी सहमति थी! क्या  हम बचे खुचे भारत में आज भारतीयों की परम्परा के अनुरूप सुविचारित स्व विचारित भारत के अपने संसाधनों से देश को आगे बढ़ाने का कितना प्रयत्न कर पा रहे हैं यह विचार करने का संकल्प है। साथ ही अराजक तत्वों को फन उठाते ही कुचल देने का भी यही समय ताकि वह अराजकता और विभाजन की त्रासदी का दंश देश को पुनः ना देखना पड़े। भारत विभाजन के जिम्मेदारों और उस विभीषिका के दोषियों के कृत्य भी प्रकाश में लाने का यही समय है ताकि ऐसी त्रासदी देश को फिर कभी ना देखनी पड़े ✍️हरीश मैखुरी 

(तीनों फोटो साभार फेसबुक)

*हर भारतीय के लिए गर्व का पल: #OpSindoor के वीरों को मिला SYSM – उच्चतम युद्धकालीन सम्मान*

– इतिहास में पहली बार भारतीय वायुसेना को सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक (SYSM) मिल रहा है, जो युद्धकालीन विशिष्ट सेवा के लिए सबसे बड़ा सम्मान है।
– ऑपरेशन सिंदूर के लिए कुल 7 SYSM में से इस बार 4 वायुसेना अधिकारियों को दिए गए हैं।

1. लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा, जीओसी-इन-सी, नॉर्दर्न कमांड
2. लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई, डीजीएमओ
3. वाइस एडमिरल संजय जसजीत सिंह (सेवानिवृत्त) – एफओसी-इन-सी वेस्टर्न नेवल कमांड
4. एयर मार्शल नरमदेश्वर तिवारी, वीसीएएस
5. एयर मार्शल नागेश कपूर – एओसी-इन-सी साउदर्न एयर कमांड
6. एयर मार्शल जीतेंद्र मिश्रा – एओसी-इन-सी वेस्टर्न एयर कमांड
7. एयर मार्शल ए. के. भारती – डीजीएओ डीजीएनओ

साथ ही, वाइस एडमिरल ए. एन. प्रमोद को युद्ध सेवा पदक (YSM) से सम्मानित किया गया है।

**📌 𝐖𝐞 𝐓𝐡𝐞 𝐏𝐞𝐨𝐩𝐥𝐞 𝐎𝐟 𝐈𝐧𝐝𝐢𝐚**