दिल्ली का महाठग भले जनता ने विदा कर दिया लेकिन कानून के शिकंजे में उसका फंसना सुनिश्चित है।
हमने बीजेपी को इतने आक्रामक मोड में 370 के समय देखा था। पहले तो गुप्ता जी ने खास आदमी पार्टी के सारे विधायकों को बाहर फेक दिया क्योंकि जब वीके सक्सेना बतौर उपराज्यपाल भाषण देने आये तो ये शोर मचा रहे थे।
हालाँकि गुप्ता जी को शायद पता नहीं था की पुलिस के पास डंडे भी थे एक दो जड़वा देते तो लोकतंत्र खतरे में नहीं आ जाता हालाँकि 5 साल है तो आशा है गुप्ता जी याद रखेंगे।
वहाँ लेडी गुप्ता ने CAG रिपोर्ट पेश करनी शुरू कर दी, 2000 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है केजरीवाल ने सिर्फ शराब घोटाले से। वैसे तो CAG रिपोर्ट सिर्फ फाइनेंस के लिए होती है।
मान लो आपने 100 रूपये का सामान बेचा और 120 में उसे खरीदा था तो CAG रिपोर्ट सिर्फ 20 रूपये के नुकसान की रिपोर्ट देगी। अब इस नुकसान की जांच के लिए अलग कमिटी बनेगी।
रेखा गुप्ता को वीके सक्सेना से आग्रह होना होगा और सक्सेना सरकार की सलाह पर कमिटी बनाकर ये जांच करवाएंगे। पुराने टेंडर खोले जाएंगे गड़बड़ी होने पर अधिकारियों की क्लास लगेगी और रस्सी खींचते तनते आखिर केजरीवाल के गले में पहुँचेगी।
गड़बड़ी नहीं भी हुई तब भी केजरीवाल डायरेक्ट मरेगा क्योकि सीधा सवाल यही पूछा जाएगा की फिर ये नीति ही क्यों बनाई जिसमे नुकसान हो गया?
हालाँकि केजरीवाल भी लालू प्रसाद यादव से कम नहीं है, इसने मरने के लिए मनीष सिसोदिया को छोड़ रखा है। ये शराब नीति मनीष सिसोदिया ने बनाई थी और पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल से अप्रूव करवाई थी।
मगर जैसे ही उनका कार्यकाल पूरा हुआ मनीष ने उस नीति में बिना बताये कुछ बदलाव कर दिए। आखिर में केजरीवाल के ही सेक्रेटरी नरेश कुमार ने राजभवन पहुँचकर सारा घोटाला वीके सक्सेना के सामने उगल दिया।
हमें वीके सक्सेना की तारीफ इसलिए करनी पड़ेगी क्योकि उन्होंने केजरीवाल को बचने का मौका नहीं दिया और फौरन जाँच करवा दी अन्यथा ये घोटाला कब का दब गया होता।
मनीष सिसोदिया गिरफ्तार हुआ और जांच इस नतीजे पर पहुँची कि सारा पैसा हवाले के माध्यम से आम आदमी पार्टी की तिजौरी में गया। केजरीवाल भी इसीलिए गिरफ्तार हुआ था क्योकि वो “आप” का मुखिया था ना कि मुख्यमंत्री था।
खैर भगवान के देर है अंधेर नहीं, अब तक CAG रिपोर्ट सामने नहीं आयी थी इसलिए सरकारी वकीलो के आगे चुनौती थी मगर अब रेखा गुप्ता ने सबकुछ सार्वजनिक कर दिया है।
मैं टेलीग्राम और व्हाट्सअप दोनों चैनल्स पर रिपोर्ट का पीडीएफ अटैच कर रहा हु, आप सभी पढ़ सकते है थोड़ी बड़ी है मगर विस्तार से सब लिखा है। रेखा गुप्ता और वीके सक्सेना दोनों ही को जल्दी से जल्दी आगे के एक्शन लेना चाहिए, ज्यादा समय दोगे तो ये भटकाने के लिए अंबेडकर जैसे मुद्दे उठा लेगा।
रेखा गुप्ता पर राजनीतिक दबाव समझ आता है मगर वीके सक्सेना तो स्वतंत्र है राष्ट्रपति भवन का एक्सेस रखते है यदि तब भी 6 महीने से ज्यादा का समय लगा तो ये न्यायपूर्ण नहीं होगा।
केजरीवाल आये तो जन लोकपाल के नाम पर थे लेकिन कैग रिपोर्ट तक दबा गये अब भुगतो दुबारा जेल जाना तय क्योंकि दिल्ली बीजेपी आक्रामक है और मोदी सरकार लोकपाल भी गठित कर चुकी है। जैसा आपको विदित है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस पीसी घोष देश के पहले लोकपाल बन गए हैं. राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी की चयन समिति ने उनके नाम की सिफ़ारिश की थी। वर्तमान में जस्टिस मिश्रा नये लोकपाल बने हैं।
