महाशिवरात्रि का महात्म्य : जानिए कहां कहां हैं भारत के 10 सबसे चमत्कारी शिवलिंग, ये चीजें खाने से शरीर की अस्थियों में होता है भारी क्षरण, आज का पंचाग आपका राशि फल

*जानिए कहां हैं भारत के 10 सबसे चमत्कारी शिवलिंग,👇?*

शिवरात्रि, महाशिवरात्रि, सोमवार, चतुर्दशी और सावन माह में शिवजी की विशेष पूजा होती है एवं जलाभिषेक किया जाता है। भारत में कई चमत्कारिक शिवलिंग हैं, जिनके चमत्कार अद्भुत हैं। ये ऐसे शिवलिंग, जिनके दर्शन अवश्य करने चाहिए।

*👉1. अपने आप होता है जलाभिषेक:*

झारखंड के रामगढ़ में स्थित इस शिवमंदिर को प्राचीन मंदिर टूटी झरना के नाम से जाना जाता है। मंदिर में मौजूद शिवलिंग पर अपने-आप 24 घंटे जलाभिषेक होता रहता है। खास बात तो यह है कि यह जलाभिषेक कोई और नहीं बल्कि स्वयं मां गंगा अपनी हथेलियों से करती हैं। दरअसल शिवलिंग के ऊपर मां गंगा की एक प्रतिमा स्थापित है जिनके नाभि से अपने-आप पानी की धारा उनकी हथेलियों से होता हुआ शिवलिंग पर गिरता है। यह आज भी रहस्य बना हुआ है कि आखिर इस पानी का स्त्रोत कहां है? माना जाता है कि इस मंदिर की जानकारी पुराणों में भी मिलती है।

*👉2. बिजली महादेव:*

हिमाचल प्रदेश के कु्ल्लू जिले में एक ऐसा शिव मंदिर भी है जहां हर 12 साल बाद शिवलिंग पर भयंकर बिजली गिरती है। बिजली के आघात से शिवलिंग खंडित हो जाता है किंतु पुजारी इसे मक्खन से जोड़ देते हैं और यह पुनः अपने ठोस आकार में परिवर्तित हो जाता है। यह अनोखा मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित है और इसे बिजली महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। कुल्लू और भगवान शिव के इस मंदिर का बहुत गहरा रिश्ता है। कुल्लू शहर में ब्यास और पार्वती नदी के संगम स्थल के नजदीक एक पहाड़ पर शिव का यह प्राचीन मंदिर स्थित है।

*👉3. रंग बदलता शिवलिंग:*

राजस्थान के धौलपुर में स्थित शिव मंदिर के शिवलिंग का चमत्कार यह है कि यह प्रतिदिन तीन बार रंग बदलता है। सुबह लाल, दोपहर केसरिया और शाम को सांवला हो जाता है। यह भी आश्चर्य है कि इस शिवलिंग का कोई छोर नहीं है। धौलपुर से 5 किलोमीटर दूर चंबल नदी के किनारे बीहड़ों में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर को करीब 1,000 वर्ष पुराना बताया जाता है, जबकि इसके शिवलिंग को हजारों साल पूराना बताया जाता है। इस मंदिर के बारे में कई किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं।

*👉4. भोजेश्वर महादेव मंदिर:*

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किलोमीटर दूर भोजपुर (रायसेन जिला) में भोजपुर की पहाड़ी पर स्थित है। यहां का शिवलिंग अद्भुत और विशाल है। यह भोजपुर शिव मंदिर या भोजेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं। इस प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज (1010 ई-1055 ई) द्वारा किया गया था। चिकने लाल बलुआ पाषाण के बने इस शिवलिंग को एक ही पत्थर से बनाया गया है और यह विश्व का सबसे बड़ा प्राचीन शिवलिंग माना जाता है। कहते हैं कि यहां पहले साधुओं के एक समूह ने गहन तपस्या की थी।

*👉5. लक्षलिंग महादेव मंदिर:*

बताया जाता है कि इस शिवलिंग में करीब एक लाख छेद हैं। इनमें से एक छेद पाताल तक गया है और एक छेद ऐसा है जो हमेशा जल से भरा रहता है। इस शिवलिंग पर जो भी जल अर्पित किया जाता है वह सीधे पाताल में चला जाता है। इसमें जितना भी पानी डालो वह कभी भी बाहर नहीं ढुलता है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण मंदिर से कुछ किलोमीटर दूर पर खरौद नामक शहर में स्थित है। लक्षलिंग जमीन से करीब 30 फीट ऊपर है और इसे स्वयंभू भी कहा जाता है।

*👉6. मृदेश्वर महादेव मंदिर:*

गुजरात (गोधरा) गुजरात के गोधरा में स्थित मृतेश्वर शिवलिंग का आकार बढ़ता ही जा रहा है। मान्यता के अनुसार जिस दिन शिवलिंग का आकार 8.5 फुट का हो जाएगा, उस दिन यह मंदिर की छत से टकरा जाएगा और तब प्रलय की शुरुआत होगी। कहते हैं कि शिवलिंग का आकार 1 वर्ष में एक चावल के दाने के बराबर बढ़ता है। इस शिवलिंग से प्राकृतिक रूप से जल की धारा निकलती रहती हैं।

*👉7. मातंगेश्वर शिवलिंग:*

मध्यप्रदेश के खजुराहो में मातंगेश्वर शिव मंदिर का शिवलिंग हर साल एक तिल बढ़ रहा है। 18 फिट के इस शिवलिंग की भगवान राम ने भी पूजा की थी। यहां पर मंदिर का निर्माण चंदेल राजाओं ने करवाया था। शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि यह शिवलिंग नीचे पाताल लोक की ओर और उपर स्वर्गलोक की ओर बढ़ रहा है। जब यह पाताललोक पहुंचेगा तब कलयुग का अंत हो जाएगा।

*👉8. स्तंभेश्वर महादेव मंदिर:*

गुजरात में वडोदरा से 85 किमी दूर स्थित जंबूसर तहसील के कावी-कंबोई गांव का यह मंदिर अलग ही विशेषता रखता है। मंदिर अरब सागर के मध्य कैम्बे तट पर स्थित है। इस मंदिर के 2 फुट व्यास के शिवलिंग का आकार चार फुट ऊंचा है। स्तंभेश्वर महादेव मंदिर सुबह और शाम दिन में दो बार के लिए पलभर के लिए गायब हो जाता है। ऐसा ज्वारभाटा आने के कारण होता है।

*👉9. निष्कलंक महादेव:*

यह मंदिर गुजरात के भावनगर में कोलियाक तट से 3 किलोमीटर अंदर अरब सागर में स्थित है। प्रतिदिन अरब सागर की लहरें यहां के शिवलिंग का जलाभिषेक करती है। ज्वारभाटा जब शांत हो जाता है तब लोग पैदल चलकर इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। ज्वार के समय सिर्फ मंदिर का ध्वज ही नजर आता है। यह मंदिर महाभारतकालीन है और जब युद्ध के बाद पांडवों को अपने ही कुल के लोगों को मारने का पछतावा था और वे इस पाप से छुटकारा पाना चाहते थे तब वे श्रीकृष्ण के पास गए। श्रीकृष्ण द्वारिका में रहते थे। श्रीकृष्ण ने उन्हें एक काली गाय और एक काला झंडा दिया और कहा कि तुम यह झंडा लेकर गाय के पीछे-पीछे चलना। जब झंडा और गाय दोनों सफेद हो जाए तो समझना की पाप से छुटकारा मिल गया। जहां यह चमत्कार हो वहीं पर शिव की तपस्या करना। कई दिनों तक चलने के बाद पांडव इस समुद्र के पास पहुंचे और झंडा और गाय दोनों सफेद हो गया। तब उन्होंने वहां तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न किया। पांचों पांडवों को शिवजी ने लिंग रूप में अलग अलग दर्शन दिए। वही पांचों शिवलिंग आज तक यहां विद्यमान हैं। पांडवों ने यहां अपने पापों से मुक्ति पाई थी इसीलिए इसे निष्‍कलंक महादेव मंदिर कहते हैं।

*👉10. तिलभांडेश्वर मंदिर:*

इसी तरह काशी में तिलभांडेश्वर के नाम से प्रसिद्ध मंदिर का स्वयंभू शिवलिंग भी साल एक तिल के बराबर बढ़ता है। छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में गरियाबंद के घने जंगलों में स्थित भूतेश्वर महादेव का शिवलिंग भी हर वर्ष बढ़ता है। इसी तरह मध्यप्रदेश के देवास के पास बिलावली में स्थित शिवमंदिर का शिवलिंग भी प्रतिवर्ष एक तिल के बराबर बढ़ता है।
*जय जय शिवशम्भू, हर हर महादेव*🙏

हड्डियों से चूस लेती है सारा कैल्शियम खाने से लेकर पीने वाली ये 5 चीजें, शरीर में छोड़ देंगी बस चूरा ही चूरा..·.

Facts About Bones: कैल्शियम हमारे शरीर के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण खनिज है, जो हड्डियों और दांतों को मजबूत रखने के साथ-साथ हमारे रक्तचाप, मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र के सही संचालन में भी मदद करता है।

यदि शरीर में कैल्शियम की कमी हो, तो हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसे फूड्स भी हैं जो शरीर से कैल्शियम को खत्म कर सकते हैं और हड्डियों को कमजोर बना सकते हैं? आइए जानते हैं, वो कौन से फूड्स हैं जिनसे आपको बचना चाहिए।

1. कोल्ड ड्रिंक (Soda)

कोल्ड ड्रिंक, खासकर सॉफ्ट ड्रिंक्स, हर पार्टी या समारोह का हिस्सा बन जाते हैं। हालांकि, इन्हें ज्यादा मात्रा में पीने से शरीर में कैल्शियम की कमी हो सकती है। इन ड्रिंक्स में फॉस्फोरिक एसिड पाया जाता है, जो शरीर से कैल्शियम के अवशोषण को रोकता है। इसके परिणामस्वरूप हड्डियों का कैल्शियम धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसलिए अगर आप हड्डियों को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो कोल्ड ड्रिंक का सेवन कम से कम करें।

2. रेड और प्रोसेस्ड मीट

रेड मीट (जैसे मांसपेशी वाले मांस) और प्रोसेस्ड मीट (जैसे सॉसेज, बेकन, हॉट डॉग्स) का सेवन अत्यधिक करने से यूरिक एसिड की समस्या हो सकती है, जो हड्डियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। यह पदार्थ शरीर के भीतर कैल्शियम के अवशोषण को प्रभावित कर सकते हैं और हड्डियों को कमजोर कर सकते हैं। इसलिए, अगर हड्डियों की सेहत का ख्याल रखना है, तो इन फूड्स का सेवन सीमित करना चाहिए।

3. केक, कैंडी और कुकीज

केक, कैंडी और कुकीज जैसे मीठे और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में अत्यधिक शक्कर और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो कैल्शियम के अवशोषण में रुकावट डालते हैं। इसके अतिरिक्त, ये फूड्स शरीर में सूजन का कारण बन सकते हैं, जिससे हड्डियां और भी कमजोर हो सकती हैं। इसलिए, इन अत्यधिक मीठे पदार्थों को नियमित रूप से खाने से बचें और स्वस्थ स्नैक्स का चयन करें।

4. चाय (Tea)

चाय में कैफीन पाया जाता है, जो शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को कम करता है। अगर आप अधिक चाय पीते हैं, तो यह आपकी हड्डियों के लिए खतरनाक हो सकता है। विशेष रूप से अधिक कैफीन वाले चाय या कॉफी का सेवन हड्डियों से कैल्शियम को निकाल सकता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। इसलिए, चाय का सेवन सीमित करें और अधिक पानी या कैल्शियम से भरपूर अन्य पेय पदार्थों का सेवन करें।

5. शराब (Alcohol)

शराब का अत्यधिक सेवन हड्डियों की सेहत पर गहरा असर डालता है। शराब शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को कम करती है और हड्डियों को कमजोर कर सकती है। यह हड्डियों को चूने के समान बना सकती है और हड्डी के फ्रैक्चर (हड्डी टूटने) का खतरा बढ़ा सकती है। अगर आप हड्डियों को मजबूत रखना चाहते हैं तो शराब का सेवन बहुत सीमित करें।

6. ऑयली फूड्स (Oily Foods)

ऑयली फूड्स जैसे समोसा, फ्राइड चिकन, पकोड़ी, आदि हड्डियों के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं। ये अत्यधिक वसा और असंतुलित फैट्स से भरपूर होते हैं, जो शरीर में सूजन पैदा कर सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप, कैल्शियम का अवशोषण प्रभावित हो सकता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इन फूड्स को सीमित मात्रा में ही खाएं और स्वस्थ, हल्का भोजन करें।

कैल्शियम हड्डियों के लिए महत्वपूर्ण है और इसके सही अवशोषण के लिए संतुलित आहार की आवश्यकता होती है। अगर आप अपने हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो इन फूड्स का सेवन सीमित करें या पूरी तरह से बचें:

कोल्ड ड्रिंक

रेड और प्रोसेस्ड मीट

केक, कैंडी, कुकीज

ज्यादा चाय और कॉफी

अत्यधिक शराब

ऑयली और फ्राइड फूड्स

इसके बजाय, कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे दूध, दही, हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल, नट्स और बीज आदि का सेवन करें। नियमित रूप से व्यायाम और हड्डियों को मजबूत करने वाली आदतों को अपनाने से भी आप अपनी हड्डियों को स्वस्थ रख सकते हैं।

🚩‼️ओ३म्‼️🚩🕉️🙏नमस्ते जी

दिनांक – – २५ फ़रवरी २०२५ ईस्वी

दिन – – मंगलवार

🌘 तिथि — द्वादशी ( १२:४७ तक तत्पश्चात त्रयोदशी)

🪐 नक्षत्र – – उत्तराषाढ ( १८:३१ तक तत्पश्चात श्रवण )

पक्ष – – कृष्ण, मास – – फाल्गुन
ऋतु – – बसंत, सूर्य – – उत्तरायण

🌞 सूर्योदय – – प्रातः ६:५० पर दिल्ली में
🌞 सूर्यास्त – – सायं १८:१८ पर
🌘 चन्द्रोदय -२९:४३ पर🌘 चन्द्रास्त  १५:२६ पर

सृष्टि संवत् – – १,९६,०८,५३,१२५
कलयुगाब्द – – ५१२५
विक्रम संवत् – -२०८१
शक संवत् – – १९४६

🔥 विद्वान का बल विधा और बुद्धि है , राष्ट्र का बल सेना और एकता है , व्यापारी का बल धन और चतुराई है , सेवक का बल सेवा और कर्तव्यपरायणता है , शासन का बल राजस्व और दण्ड विधान है , सुन्दरता का बल युवावस्था है , नारी का बल शील है , पुरुष का बल पुरूषार्थ है , वीरों का बल साहस है , निर्बल का बल शासन व्यवस्था है , बच्चों का बल रोना है , दुष्टों का बल हिंसा है , मुर्खो का बल चुप रहना है , और भक्तों का बल ईशवर की कृपा है ।

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🌷 न जातु काम: कामानामुपभोगेन शाम्यति।
हविषा कृष्णवर्त्मेव भूय एवाभिवर्द्वते ।।( महर्षि मनु)

🌷 यह निश्चय है कि जैसे अग्नि में इन्धन और घी डालने से बढ़ता जाता है वैसे ही कामों के उपयोग से काम शान्त कभी नही होता किन्तु बढ़ता ही जाता है । इसलिए मनुष्य को विषयासक्त कभी नही होना चाहिए ।

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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक पञ्चाङ्ग के अनुसार👇
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🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ 🕉🚩🙏

(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त) 🔮🚨💧🚨 🔮

ओ३म् तत्सत् श्री ब्रह्मणो दिवसे द्वितीये प्रहरार्धे श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वते मन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- पञ्चर्विंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२५ ) सृष्ट्यब्दे】【 एकाशीत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०८१) वैक्रमाब्दे 】 【 एकाधीकद्विशततमे ( २०१) दयानन्दाब्दे, काल -संवत्सरे, रवि- उत्तरायणे , बंसत -ऋतौ, फाल्गुन – मासे, कृष्ण पक्षे, द्वादशयां – तिथौ, उत्तराषाढ – नक्षत्रे, मंगलवासरे शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे, आर्यावर्तान्तर गते, भारतवर्षे भरतखंडे…प्रदेशे…. जनपदे…नगरे… गोत्रोत्पन्न….श्रीमान .( पितामह)… (पिता)…पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)…अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ, आत्मकल्याणार्थ,रोग,शोक,निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे

✅*26 फरवरी 2025 बुधवार को महाशिवरात्रि है।*

🙏🏻 *अर्ध रात्रि की पूजा के लिये स्कन्दपुराण में लिखा है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ‘निशिभ्रमन्ति भूतानि शक्तयः शूलभृद यतः । अतस्तस्यां चतुर्दश्यां सत्यां तत्पूजनं भवेत् ॥’ अर्थात् रात्रिके समय भूत, प्रेत, पिशाच, शक्तियाँ और स्वयं शिवजी भ्रमण करते हैं; अतः उस समय इनका पूजन करने से मनुष्य के पाप दूर हो जाते हैं । शिवपुराण में आया है “कालो निशीथो वै प्रोक्तोमध्ययामद्वयं निशि ॥ शिवपूजा विशेषेण तत्काले ऽभीष्टसिद्धिदा ॥ एवं ज्ञात्वा नरः कुर्वन्यथोक्तफलभाग्भवेत्” अर्थात रात के चार प्रहरों में से जो बीच के दो प्रहर हैं, उन्हें निशीधकाल कहा गया हैं | विशेषत: उसी कालमें की हुई भगवान शिव की पूजा अभीष्ट फल को देनेवाली होती है – ऐसा जानकर कर्म करनेवाला मनुष्य यथोक्त फलका भागी होता है |*

🙏🏻 *चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं। अत: ज्योतिष शास्त्रों में इसे परम कल्याणकारी कहा गया है। वैसे तो शिवरात्रि हर महीने में आती है। परंतु फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा गया है। शिवरहस्य में कहा गया है ।*

🌷 *“चतुर्दश्यां तु कृष्णायां फाल्गुने शिवपूजनम्। तामुपोष्य प्रयत्नेन विषयान् परिवर्जयेत।। शिवरात्रि व्रतं नाम सर्वपापप्रणाशनम्।”*

🙏🏻 *शिवपुराण में ईशान संहिता के अनुसार “फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि। शिवलिंगतयोद्भूत: कोटिसूर्यसमप्रभ:॥” अर्थात फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में आदिदेव भगवान शिव करोडों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए इसलिए इसे महाशिवरात्रि मानते हैं।*

🙏🏻 *शिवपुराण में विद्येश्वर संहिता के अनुसार शिवरात्रि के दिन ब्रह्मा जी तथा विष्णु जी ने अन्यान्य दिव्य उपहारों द्वारा सबसे पहले शिव पूजन किया था जिससे प्रसन्न होकर महेश्वर ने कहा था की “आजका दिन एक महान दिन है | इसमें तुम्हारे द्वारा जो आज मेरी पूजा हुई है, इससे मैं तुम लोगोंपर बहुत प्रसन्न हूँ | इसीकारण यह दिन परम पवित्र और महान – से – महान होगा | आज की यह तिथि ‘महाशिवरात्रि’ के नामसे विख्यात होकर मेरे लिये परम प्रिय होगी | इसके समय में जो मेरे लिंग (निष्कल – अंग – आकृति से रहित निराकार स्वरूप के प्रतीक ) वेर (सकल – साकाररूप के प्रतीक विग्रह) की पूजा करेगा, वह पुरुष जगत की सृष्टि और पालन आदि कार्य भी कर सकता हैं | जो महाशिवरात्रि को दिन-रात निराहार एवं जितेन्द्रिय रहकर अपनी शक्ति के अनुसार निश्चलभाव से मेरी यथोचित पूजा करेगा, उसको मिलनेवाले फल का वर्णन सुनो | एक वर्षतक निरंतर मेरी पूजा करनेपर जो फल मिलता हैं, वह सारा केवल महाशिवरात्रि को मेरा पूजन करने से मनुष्य तत्काल प्राप्त कर लेता हैं | जैसे पूर्ण चंद्रमा का उदय समुद्र की वृद्धि का अवसर हैं, उसी प्रकार यह महाशिवरात्रि तिथि मेरे धर्म की वृद्धि का समय हैं | इस तिथिमे मेरी स्थापना आदि का मंगलमय उत्सव होना चाहिये |*

🙏🏻 *तिथितत्त्व के अनुसार शिव को प्रसन्न करने के लिए महाशिवरात्रि पर उपवास की प्रधानता तथा प्रमुखता है क्योंकि भगवान् शंकर ने खुद कहा है – “न स्नानेन न वस्त्रेण न धूपेन न चार्चया। तुष्यामि न तथा पुष्पैर्यथा तत्रोपवासतः।।” ‘मैं उस तिथि पर न तो स्नान, न वस्त्रों, न धूप, न पूजा, न पुष्पों से उतना प्रसन्न होता हूँ, जितना उपवास से।’*

🙏🏻 *स्कंदपुराण में लिखा है “सागरो यदि शुष्येत क्षीयेत हिमवानपि। मेरुमन्दरशैलाश्च रीशैलो विन्ध्य एव च॥ चलन्त्येते कदाचिद्वै निश्चलं हि शिवव्रतम्।” अर्थात् ‘चाहे सागर सूख जाये, हिमालय भी क्षय को प्राप्त हो जाये, मन्दर, विन्ध्यादि पर्वत भी विचलित हो जाये, पर शिव-व्रत कभी निष्फल नहीं हो सकता।’ इसका फल अवश्य मिलता है।*

 

🙏🏻 *‘स्कंदपुराण’ में आता है “परात्परं नास्ति शिवरात्रि परात्परम् | न पूजयति भक्तयेशं रूद्रं त्रिभुवनेश्वरम् | जन्तुर्जन्मसहस्रेषु भ्रमते नात्र संशयः||” ‘शिवरात्रि व्रत परात्पर (सर्वश्रेष्ठ) है, इससे बढ़कर श्रेष्ठ कुछ नहीं है | जो जीव इस रात्रि में त्रिभुवनपति भगवान महादेव की भक्तिपूर्वक पूजा नहीं करता, वह अवश्य सहस्रों वर्षों तक जन्म-चक्रों में घूमता रहता है |’*

🙏🏻 *ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार एकादशी को अन्न खाने से पाप लगता है और शिवरात्रि, रामनवमी तथा जन्माष्टमी के दिन अन्न खाने से दुगना पाप लगता है। 

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