पतन की खोह में समाती नयी पीढ़ी, गरबा में धर्म संस्कृति से लगाव नहीं अपितु भौंडेपन को प्रथमिकता

मंदिर में दस मिनट की आरती में 10 लोग नहीं आते लेकिन 4 घंटे का गरबा डांस देखने के लिए पूरा शहर उमड़ आता है। इससे स्पष्ट है कि हिंदू जो है वो श्रध्दा भक्ति आस्था पर नहीं मनोरंजन में विश्वास करता है! और यही मनोरंजन एक दिन हिंदुओं के पतन का कारण बनेगा… और ये जो बहन बेटियां है ना जो आधे अधूरे कपड़े पहन के अपनी इज्जत का पोस्टमार्टम करवाने गरबा पांडाल में पहुंचती है तो उनसे मेरा यही कहना है कि अगर हमने आपको देवी शब्द का नाम दिया है तो आप उस देवी शब्द की मर्यादा का ध्यान रखो।

क्योंकि गरबा कोई खेल नहीं एक सांस्कृतिक परंपरा है देवी की आराधना है तो उसे परंपरागत तरीके से निभाओ वरना यह जो तुम रंग बिरंगे कपड़े पहन कर अधनंगा शरीर लेकर मंच पर डांडिया चटकाती हो न .. तुम्हारी गलतियों के कारण तुम्हें एक दिन काले परदे से पूरा शरीर ढांक कर रहना पड़ेगा.. मेरी बात को ध्यान से समझना..*🙏🏻🚩!! जय माता दी !!🚩🙏🏻*