आज का पंचाग आपका राशि फल, गृह क्लेश दूर करने के वैदिक उपाय, उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा, संसार के 17 बडे़ देशों के बराबर हो गयी भारत की जनसंख्या, पहले सारी शर्तें मान कर फीफा वर्ल्ड कप का आयोजन पाने वाला कतर अब विश्व कप शुरु होने के दो दिन पहले खिलाड़ियों पर थोपने लगा अपने कबीलाई कायदे,

पहले क़तर ने सारे कंडीशन्स मानते हुए फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी को स्वीकार किया और अब जब विश्व कप शुरु होने में मात्र दो दिन हैं तब उसने अपने वाले शर्त रखने शुरु कर दिए हैं- शराब बैन रहेगा, ज़ीरो टॉलरेंस ऑफ़ एल.जी.बी.टी., कपड़े वहाँ के नियमों के अनुसार पहनने होंगे, महिलाएँ बग़ैर हिजाब और मेहरम के दिखाई न दें वगैरह। ये घोषणाएँ तब आईं जब लाखों फ़ुटबॉल प्रेमी टिकट, होटल आदि बुक कर चुके थे।

जिनका ऐसा लेवल है डिसेप्शन और छल का कि फीफा जैसे संगठनों का भी कट जाता है, फिर इधर के कट्टर शेर छोटी कम उम्र युवतियों से उम्मीद करते हैं कि उनके झाँसे में कभी न आएँ यह अन्याय नहीं तो क्या है? हाँ, लास्ट मिनट पर इन शर्तों पर फुटबॉल फैन्स की जो प्रतिक्रिया है इसके बाद अगली बार से इन 52 देशों को मेजबानी शायद ही मिले, और मिलेगी भी तो अधिकांश दर्शक देखने जाना पसंद नहीं करेंगे।

घटनाओं से गंभीरता से शिक्षा लेनी चाहिए।
#आनन्द_मिश्रा

, 🌺 🙏#ऊँ_आदित्याय_नमः 🙏 🌺
🌸═══🌸 #शुभ__रविवार 🌸═══🌸

कनक बदन कुंडल मकर मुक्ता माला अंग
पद्मासन स्थित ध्याइये शंख चक्र के संग

आप सभी का दिन शुभ और मंगलमय हो श्री सूर्य नारायण भगवान आप सभी को स्वस्थ और निरोगी रखे 👐👐🌹🌹
🍁🍃🍁 #ऊँभास्करायनमः 🍁🍃🍁
💥⚜️💥 🙏🙏🙏 💥⚜️💥

 *दूध को दुखी करो तो दही बनता है*
👉 *दही को सताने से मक्खन बनता है*
👉 *मक्खन को सताने से घी बनता है*
👉 *दूध से महंगा दही है,दही से महंगा मक्खन है,और मक्खन से महंगा घी है*
👉 *किन्तु इन चारों का रंग एक ही है सफेद*
👉 *इसका अर्थ है बाऱ- बार दुख और संकट आने पर भी जो इंसान अपना रंग नहीं बदलता,समाज में उसका ही मूल्य बढ़ता है*
👉 *दूध* उपयोगी है किंतु एक ही दिन के लिए,
फिर वो *खराब* हो जाता है….!!
👉 *दूध* में एक बूंद *छाछ* डालने से वह *दही* बन जाता है जो केवल दो और दिन *टिकता* है….!!
👉 *दही* का मंथन करने पर *मक्खन* बन जाती है, यह और तीन दिन टिकता है..
👉 *मक्खन* को उबालकर *घी* बनता है, *घी* कभी खराब नहीं होता..
👉एक ही दिन में बिगड़ने वाले *दूध* में कभी नहीं बिगड़ने वाला *घी* छिपा है..
👉इसी तरह आपका *मन* भी अथाह *शक्तियों* से भरा है, उसमें कुछ *सकारात्मक विचार* डालो अपने आपको *मथो* अर्थात *चिंतन* करो…अपने *जीवन* को और *तपाओ* और तब देखना । ॐ शान्ति 🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷. .

🕉श्री हरिहरौ विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻रविवार, २० नवम्बर २०२२🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:४७
सूर्यास्त: 🌅 ०५:२२
चन्द्रोदय: 🌝 २७:४५
चन्द्रास्त: 🌜१५:०३
अयन 🌖 दक्षिणायने (दक्षिणगोलीय)
ऋतु: 🌳 हेमंत
शक सम्वत: 👉 १९४४ (शुभकृत)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७९ (राक्षस)
मास 👉 मार्गशीर्ष
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 एकादशी (१०:४१ से द्वादशी)
नक्षत्र 👉 हस्त (२४:३६ से चित्रा)
योग 👉 प्रीति (२३:०४ से आयुष्मान)
प्रथम करण 👉 बालव (१०:४१ तक)
द्वितीय करण 👉 कौलव (२२:२९ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 वृश्चिक
चंद्र 🌟 कन्या
मंगल 🌟 वृष (उदित, पश्चिम, वक्री)
बुध 🌟 वृश्चिक (अस्त, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 मीन (उदित, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 तुला (अस्त, पूर्व)
शनि 🌟 मकर (उदित, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४१ से १२:२३
अमृत काल 👉 १८:३१ से २०:०८
द्विपुष्कर योग 👉 २४:३६ से ३०:४७
सर्वार्थसिद्धि योग 👉 ०६:४६ से २४:३६
अमृतसिद्धि योग 👉 ०६:४६ से २४:३६
विजय मुहूर्त 👉 १३:४८ से १४:३०
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:०८ से १७:३२
सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:१९ से १८:३९
निशिता मुहूर्त 👉 २३:३६ से २४:३०
राहुकाल 👉 १६:०० से १७:१९
राहुवास 👉 उत्तर
यमगण्ड 👉 १२:०२ से १३:२१
होमाहुति 👉 राहु (२४:३६ से केतु)
दिशाशूल 👉 पश्चिम
अग्निवास 👉 पृथ्वी (१०:४१ तक)
चन्द्रवास 👉 दक्षिण
शिववास 👉 कैलाश पर (१०:४१ से नन्दी पर)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – उद्वेग २ – चर
३ – लाभ ४ – अमृत
५ – काल ६ – शुभ
७ – रोग ८ – उद्वेग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – शुभ २ – अमृत
३ – चर ४ – रोग
५ – काल ६ – लाभ
७ – उद्वेग ८ – शुभ
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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दक्षिण-पूर्व (पान का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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उत्पत्ति (उत्पन्ना) एकादशी (सभी के लिए) आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज २४:३६ तक जन्मे शिशुओ का नाम
हस्त नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (ष, ण, ठ) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम चित्रा नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमशः (पे) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
वृश्चिक – ३०:३३ से ०८:५२
धनु – ०८:५२ से १०:५६
मकर – १०:५६ से १२:३७
कुम्भ – १२:३७ से १४:०३
मीन – १४:०३ से १५:२६
मेष – १५:२६ से १७:००
वृषभ – १७:०० से १८:५५
मिथुन – १८:५५ से २१:१०
कर्क – २१:१० से २३:३१
सिंह – २३:३१ से २५:५०
कन्या – २५:५० से २८:०८
तुला – २८:०८ से ३०:२९
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – ०६:४६ से ०८:५२
रज पञ्चक – ०८:५२ से १०:४१
शुभ मुहूर्त – १०:४१ से १०:५६
चोर पञ्चक – १०:५६ से १२:३७
शुभ मुहूर्त – १२:३७ से १४:०३
रोग पञ्चक – १४:०३ से १५:२६
चोर पञ्चक – १५:२६ से १७:००
शुभ मुहूर्त – १७:०० से १८:५५
रोग पञ्चक – १८:५५ से २१:१०
शुभ मुहूर्त – २१:१० से २३:३१
मृत्यु पञ्चक – २३:३१ से २४:३६
अग्नि पञ्चक – २४:३६ से २५:५०
शुभ मुहूर्त – २५:५० से २८:०८
रज पञ्चक – २८:०८ से ३०:२९
शुभ मुहूर्त – ३०:२९ से ३०:४७
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन भी स्थिति आपके पक्ष में ही रहेगी लेकिन आज आपका सनकी मिजाज लाभ में विलंब करेगा। परिजनों की सही बात को गलत सिद्ध करने पर झगड़ा हो सकता है कुछ देर में ही शांति स्थापित हो जाएगी। सामाजिक क्षेत्र पर पूर्व में किये गए कार्यो से सम्मान मिलेगा। समाज के सम्मानित व्यक्तियों के साथ उठना-बैठना होगा। पौराणीक धार्मिक क्षेत्रो के दर्शन की लालसा रहेगी शीघ्र ही इसके फलीभूत होने की सम्भवना है। दानपुण्य पर खर्च करेंगे। संध्या के समय मानसिक शान्ति के लिए मित्र-परिजनों के साथ बाहर घूमने की योजना बनाएंगे। परिवार में शांति रहेगी

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज भी आपकी बौद्धिक क्षमता अन्य लोगो पर प्रभाव डालने वाली रहेगी लेकिन आज आर्थिक अथवा पारिवारिक कारणों से किसी की सहायता ना चाहकर भी लेनी ही पड़ेगी। व्यवसाय से आशा अधिक रहेगी परन्तु निष्कर्ष उम्मीद के अनुसार नही होगा। आप कार्यो की भरमार रहने के कारण भ्रमित हो सकते है। परिश्रम का उचित फल नहीं मिलेगा दोपहर तक कार्यो में व्यवधान आने से निराश रहेंगे परन्तु संध्या के समय किसी परिचित के सहयोग से लाभ होने से खर्च निकल जाएंगे। सरकारी कार्य टालें। परिवार के प्रति अधिक भावनात्मक बनेंगे। आध्यात्म में रूचि होने पर भी समय नहीं दे पाएंगे। व्यसनों से दूर रहें।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आपको आज का दिन भी धैर्य से बिताने की सलाह है। घर एवं बाहर ना चाहकर भी कलह के प्रसंग बनेंगे। स्वभाव में आज चतुराई अधिक रहेगी हर किसी को स्वार्थ सिद्धि की भावना से देखने के कारण व्यवहारिकता में कमी आएगी।
दिनचर्या अस्तव्यस्त रहने से मनोकामना अधूरी रह सकती है। कार्य क्षेत्र पर किसी से ना उलझे पद एवं प्रतिष्ठा की हानि हो सकती है। सांसारिक गतिविधियों में व्यस्त रहने के कारण स्वयं की अनदेखी करनी पड़ेगी परन्तु इसके बदले धन लाभ होने से संतोष रहेगा। धर्म-कर्म में अधिक रुचि रहेगी धार्मिक कार्यक्रमो में उपस्थिति देंगे। घर के बुजुर्गो से नए अनुभव मिलेंगे। पत्नी संतान का सुख मिलेगा।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
लाभ की स्थिति आज भी यथावत बनी रहेगी लेकिन आज आप कार्यो के प्रति ज्यादा गंभीर नही रहेंगे व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा रहने पर भी धन की आमद आवश्यकता अनुसार हो जाएगी। आज व्यवसाय में जोखिम लेने से ना डरे धन प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ेंगी। परन्तु नौकरी पेशा जातक अधिकारी वर्ग से सतर्क रहें। धर्म-कर्म पर खर्च होगा। व्यावसायिक यात्रा से भी धन लाभ होने की सम्भवना है यात्रा में सतर्क भी रहें। पैतृक संपत्ति सम्बंधित कार्य आज भी अधूरे रहने से हताश होंगे। सरकारी कार्य में समय एवं धन व्यर्थ होगा। परिजनों की भावना समझने का प्रयास करें।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन अधिक परिश्रम वाला रहेगा इसके अनुपात में उचित लाभ भी होने से संतोष में रहेंगे परन्तु धन लाभ के लिये प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। कार्यो को लेकर पहले थोड़ा आशंकित रहेंगे परन्तु एक बार सफलता मिलने पर यही क्रम दिन भर बना रहेगा। आर्थिक दृष्टिकोण से दिन बेहद खास रहेगा परन्तु उधार के व्यहार आज ना ही करें तो बेहतर रहेगा। नौकरी पेशा जातक आज भी व्यस्तता के चलते घर में आलोचना का शिकार बनेंगे। सामाजिक स्तर पर आपकी छवि निखरेगी। स्वास्थ्य थोड़ा नरम गरम रहेगा।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन भी आप सभी कार्यो को मन के अनुसार कर सकेंगे। धन संबंधित परेशानी आज नही रहेगी। दिन आपकी मनोकामनाओ की पूर्ति कराने वाला रहेगा। दिन भर मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रहेंगे। झगड़ो को टालने के लिए छोटी-मोटी बातों को अनदेखा करें। कार्य क्षेत्र पर परिश्रम के अनुसार लाभ मिलेने से संतोष रहेगा। नए कार्यो में निवेश कर सकते है। पैतृक संपत्ति के मामलो में उलझने रहेंगी परन्तु पारिवारिक सदस्यों में आपसी सामंजस्य बना रहेगा। किसी से बहस ना करें।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन भी आपके लिये संघर्ष पूर्ण रहेगा। प्रातः काल से ही दिनचार्य अस्त-व्यस्त बनेगी जिसके संध्या तक ऐसे ही बने रहने से आर्थिक एवं पारिवारिक समस्या यथावत रहेगा। प्रातः काल से ही आँख में जलन अथवा अंगों में दर्द रहने से निष्क्रियता रहेगी। कार्यो में उत्साहहीनता रहने के कारण पूर्व निर्धारित योजनाएं टालनी पड़ सकती है। व्यवसायिक स्थल पर प्रतिस्पर्धा के कारण टकराव की स्थिति बनेगी। आज के दिन शालीनता के साथ व्यवहार करना फायदेमंद रहेगा। अधिक क्रोध एवं ईर्ष्या की प्रवृति धन के साथ आपसी व्यवहार बिगाड़ेगी।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन पिछले दिनों की अपेक्षा बेहतर रूप से व्यतीत करेंगे। व्यवसाय से कम समय मे ज्यादा मुनाफा पा सकेंगे वही सार्वजनिक क्षेत्र पर भी सम्मान के अधिकारी बनेंगे। घर एवं बाहर अनुकूल वातावरण मिलने से मनचाहा कार्य करने में सुविधा रहेगी। धार्मिक गतिविधयों में जाने से मानसिक शांति मिलेगी। विदेश से आनंद दायक समाचार अथवा विदेश जाने में आ रही बाधा शांत होने से राहत मिलेगी। घर में सुख के साधनो की खरीददारी पर खर्च करेंगे। आर्थिक रूप से भी आज का दिन शुभ रहेगा कार्य व्यवसाय में मध्यान तक कोटा पूरा कर लेंगे। संध्या का समय परिवार के साथ बितायेंगे।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आपको अवश्य कुछ ना कुछ लाभ देकर ही जायेगा। दिन के आरंभ से मध्यान बाद तक कार्यो को गंभीर होकर करेंगे इसके बाद का समय मौज-मस्ती में बीतेगा। आर्थिक दृष्टिकोण से आज का दिन पिछले कुछ दिनों से बेहतर रहेगा। कार्य क्षेत्र से अतिरिक्त आय होगी। रुके हुए कार्य पूर्ण होने से भी धन के स्त्रोत्र बढ़ेंगे। सामाजिक गतिविधियों में पूरा समय नही दे सकेंगे। आवश्यक कार्य दिन रहते पूर्ण करलें इसके बाद जारी हानि के योग बन रहे है। पर्यटन पार्टी की योजना बनाई जाएगी। उत्तम भोजन के साथ गृहस्थ का सुख मिलेगा। परिजनों के ऊपर भी खर्च करना पड़ेगा।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन मानसिक रूप से शांति वाला रहेगा। धर्म-कर्म के प्रति आस्था बढ़ेगी धार्मिक अनुष्ठानों में सम्मिलित होने के अवसर मिलेंगे। कार्य व्यवसाय में भी आज गति आएगी। आर्थिक कामनाये अधूरी रहने पर भी खुश रहने का सफल प्रयास करेंगे। परिजनों से भावनात्मक सम्बन्ध रहने से मन को शान्ति मिलेगी। परन्तु आज प्रेम प्रसंगों से दूरी बनाना ही बेहतर रहेगा अन्यथा धन और पारिवारिक मान हानि हो सकती है। किसी मांगलिक आयोजन में जाने के कारण अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा फिर भी आनंददायक वातावरण मिलने से खर्च व्यर्थ नहीं लगेगा। स्त्री पक्ष से विशेष निकटता रहेगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन आपके लिये सभी कार्यो में सुअवसर दिलाएगा इसका लाभ उठाएं किसी परिजन के कारण मानसिक अशांति बनेगी फिर भी कार्य क्षेत्र पर घर की समस्याओं को ना लाये संध्या बाद स्थिति बदलने से कार्यो में बाधा आने लगेगी। आज के दिन आकस्मिक घटनाएं अधिक घटित होंगी चाहे वो आर्थिक या पारिवारिक हों। नौकरी पेशा जातको को भी मेहनत का फल मिलेगा सम्मान में वृद्धि के साथ आय के नवीन मार्ग खुलेंगे। बेरोजगारों को थोड़ा प्रयास करने पर रोजगार उपलब्ध हो सकता है। खर्च भी अचानक होने से थोड़ी असहजता रहेगी। सरकार से सहयोग मिल सकता है। आकस्मिक कष्ट होने के योग भी है सतर्क
रहें।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज आप जिस भी कार्य को करने का मन बनाएंगे उसकी सफलता के प्रति आशंकित रहंगे लेकिन आज आत्मविश्वास बड़ा रहने से थोड़े से परिश्रम से सफलता पा लेंगे। आज आप आत्मनिर्भर होकर कार्य करना ज्यादा पसंद करेंगे किसी का दखल देना अखरेगा। बहुप्रतीक्षित अतिमहत्त्वपूर्ण कार्य पूरा होगा। धन लाभ रुक-रुक कर होता रहेगा। घर में सुख के साधनों की खरीददारी की योजना बनेगी। नए सम्बन्ध बनने से अतिरिक्त आय के मार्ग भी खुलेंगे। पारिवारिक दायित्वों की पूर्ति से आज पीछे नहीं हटेंगे।
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️🙏राधे राधे 🙏

 
गृह कलह से मुक्ति के उपाय –
कहा जाता है कि जिस घर में क्लेश होता है, वहां लक्ष्मी का वास नहीं होता। हर किसी की अपने गृहस्थ जीवन में सुख और शांति की कामना होती है। घर और जीवन की खुशहाली ही व्यक्ति को जीवन में प्रगति के मार्ग पर ले जाती है। परिवार में व्याप्त कलह यानी की क्लेश से व्यक्ति का जीवन कठिनाइयों से भर जाता है। गृह क्लेश से बचने या उसे कम करने के लिए ज्योतिष एवं वास्तु के मिश्रित रुप का आधार लेकर कई प्रकार के उपाय बताए गए हैं। हम आगे आपको ऐसे ही कुछ उपाय बता रहे हैं, जिनके इस्तेमाल से आपका जीवन सुखमय और खुशहाल बनाया जा सकता है।
सोने की दिशा –
आप किस दिशा में सिर और पैर करके सोते हैं यह गृह कलह में काफी अहम भूमिका निभाता है। गृह कलह से मुक्ति के लिए रात को सोते समय दक्षिण की और सिर रखकर सोए। इससे आपको तनाव से राहत मिलेगी। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
हनुमान उपासना –
हनुमान जी की नियमित रूप से की गई उपासना आपको सभी प्रकार के संकट और गृह कलह से दूर रखता है। 11 मंगलवार नियमित रूप से हनुमान मंदिर में चोला चढाएं एवं सिंदूर चढाएं। ऐसा करने से परेशानियों से राहत प्राप्त होगी।
जलाभिषेक –
प्रतिदिन सुबह में स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर मंदिर या घर पर शिवलिंग के सामने बैठकर शिव उपासना करें। आप ‘ऊँ नम: सम्भवाय च मयो भवाय च नम:। शंकराय च नम: शिवाय च शिवतराय च:।।’ मंत्र का 108 बार उच्चारण कर सकते हैं। इसके बाद आप शिवलिंग पर जलाभिषेक करें। ऐसा नियमित करने से पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन में सुख शांति बनी रहती है।
गणेश उपासना –
यदि किसी घर में पति-पत्नी या बाप-बेटे के बीच कलह है या किसी भी बात पर विवाद चल रहा है तो इसमें गणेश उपासना फायदेमंद रहेगी। वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने के लिए आप बूंदी के लड्डू का भोग लगाकर प्रतिदिन श्री गणेश जी और शक्ति की उपासना करे।
चीटियों को भोजन –
चीटियों के बिल के पास शक्कर या आटा व चीनी मिलाकर डालने से गृहस्थ की समस्याओं का निवारण होता है। ऐसा नियमित 40 दिन तक करें। ध्यान रखें कि इस प्रक्रिया में कोई नागा न हो।
कुमकुम लगाए –
एक गेंदे के फूल पर कुमकुम लगाकर उसे किसी देव स्थान में मूर्ति के सामने रख दें। ऐसा करने से रिश्तों में आया तनाव और मतभेद दूर होते हैं। साथ ही छोटी कन्या को शुक्रवार को मीठी वस्तु खिलाने और भेंट करने से आपके संकटों का निवारण होता है।
तकिये में सिंदूर रखें –
घर मे व्याप्त कलह क्लेश को कम करने के लिए पति-पत्नी को रात को सोते समय अपने तकिये में सिंदूर की एक पुड़िया और कपूर रखें। सुबह में सूर्योदय से पहले उठकर सिंदूर की पुड़िया घर से बाहर फेंक दें और कपूर को निकालकर अपने कमरे में जला दें। ऐसा करने से लाभ मिलेगा।
गणेश प्रतिमा –
घर में रखी हर वस्तु परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों पर प्रभाव डालती है। सभी वस्तुओं की अलग-अलग सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की ऊर्जा होती हैं। वास्तु के अनुसार बताई गई वस्तु सही जगह रखने पर घर में सकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रीय होती है।
सामान्यत: शादी के बाद पति-पत्नी के बीच छोटे-छोटे झगड़े होते रहते हैं लेकिन कई बार यही छोटे झगड़े काफी बढ़ जाते हैं। इन झगड़ों की वजह से दोनों के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में मानसिक तनाव बढऩे लगता है और वैवाहिक जीवन में खटास घुल जाती है। इससे बचने के लिए वास्तु और ज्योतिष में कई सटीक उपाय बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार श्रीगणेश को परिवार का देवता माना गया है।
श्रीगणेश की आराधना से परिवार की सुख-समृद्धि और परस्पर प्रेम बना रहता है। इसी वजह से प्रथम पूज्य गणेशजी की मूर्ति घर में रखी जाती है। श्रीगणेश की चांदी की प्रतिमा घर में रखने से पति-पत्नी के बीच झगड़े नहीं होते और प्रेम बढ़ता रहता है।
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🌹उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा🪷🪷
सूतजी कहने लगे- हे ऋषियों! इस व्रत का वृत्तांत और उत्पत्ति प्राचीनकाल में भगवान कृष्ण ने अपने परम भक्त युधिष्ठिर से कही थी। वही मैं तुमसे कहता हूँ। 🌷
एक समय यु‍धिष्ठिर ने भगवान से पूछा था ‍कि एकादशी व्रत किस विधि से किया जाता है और उसका क्या फल प्राप्त होता है। उपवास के दिन जो क्रिया की जाती है आप कृपा करके मुझसे कहिए। यह वचन सुनकर श्रीकृष्ण कहने लगे- हे युधिष्ठिर! मैं तुमसे एकादशी के व्रत का माहात्म्य कहता हूँ। सुनो।
सर्वप्रथम हेमंत ऋ‍तु में मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी से इस व्रत को प्रारंभ किया जाता है। दशमी को सायंकाल भोजन के बाद अच्छी प्रकार से दातुन करें ताकि अन्न का अंश मुँह में रह न जाए। रात्रि को भोजन कदापि न करें, न अधिक बोलें। एकादशी के दिन प्रात: 4 बजे उठकर सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। इसके पश्चात शौच आदि से निवृत्त होकर शुद्ध जल से स्नान करें। व्रत करने वाला चोर, पाखंडी, परस्त्रीगामी, निंदक, मिथ्याभाषी तथा किसी भी प्रकार के पापी से बात न करे। 
स्नान के पश्चात धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से भगवान का पूजन करें और रात को दीपदान करें। रात्रि में सोना या प्रसंग नहीं करना चाहिए। सारी रात भजन-कीर्तन आदि करना चाहिए। जो कुछ पहले जाने-अनजाने में पाप हो गए हों, उनकी क्षमा माँगनी चाहिए। धर्मात्मा पुरुषों को कृष्ण और शुक्ल दोनों पक्षों की एकादशियों को समान समझना चाहिए।
जो मनुष्य ऊपर लिखी विधि के अनुसार एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें शंखोद्धार तीर्थ में स्नान करके भगवान के दर्शन करने से जो फल प्राप्त होता है, वह एकादशी व्रत के सोलहवें भाग के भी समान नहीं है। व्यतिपात के दिन दान देने का लाख गुना फल होता है। संक्रांति से चार लाख गुना तथा सूर्य-चंद्र ग्रहण में स्नान-दान से जो पुण्य प्राप्त होता है वही पुण्य एकादशी के दिन व्रत करने से मिलता है। 
अश्वमेध यज्ञ करने से सौ गुना तथा एक लाख तपस्वियों को साठ वर्ष तक भोजन कराने से दस गुना, दस ब्राह्मणों अथवा सौ ब्रह्मचारियों को भोजन कराने से हजार गुना पुण्य भूमिदान करने से होता है। उससे हजार गुना पुण्य कन्यादान से प्राप्त होता है। इससे भी दस गुना पुण्य विद्यादान करने से होता है। विद्यादान से दस गुना पुण्य भूखे को भोजन कराने से होता है। अन्नदान के समान इस संसार में कोई ऐसा कार्य नहीं जिससे देवता और पितर दोनों तृप्त होते हों परंतु एकादशी के व्रत का पुण्य सबसे अधिक होता है। 
हजार यज्ञों से भी ‍अधिक इसका फल होता है। इस व्रत का प्रभाव देवताओं को भी दुर्लभ है। रात्रि को भोजन करने वाले को उपवास का आधा फल मिलता है और दिन में एक बार भोजन करने वाले को भी आधा ही फल प्राप्त होता है। जबकि निर्जल व्रत रखने वाले का माहात्म्य तो देवता भी वर्णन नहीं कर सकते। 
युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवन! आपने हजारों यज्ञ और लाख गौदान को भी एकादशी व्रत के बराबर नहीं बताया। सो यह तिथि सब तिथियों से उत्तम कैसे हुई, बताइए।
भगवन कहने लगे- हे युधिष्ठिर! सतयुग में मुर नाम का दैत्य उत्पन्न हुआ। वह बड़ा बलवान और भयानक था। उस प्रचंड दैत्य ने इंद्र, आदित्य, वसु, वायु, अग्नि आदि सभी देवताओं को पराजित करके भगा दिया। तब इंद्र सहित सभी देवताओं ने भयभीत होकर भगवान शिव से सारा वृत्तांत कहा और बोले हे कैलाशपति! मुर दैत्य से भयभीत होकर सब देवता मृत्यु लोक में फिर रहे हैं। तब भगवान शिव ने कहा- हे देवताओं! तीनों लोकों के स्वामी, भक्तों के दु:खों का नाश करने वाले भगवान विष्णु की शरण में जाओ। 
वे ही तुम्हारे दु:खों को दूर कर सकते हैं। शिवजी के ऐसे वचन सुनकर सभी देवता क्षीरसागर में पहुँचे। वहाँ भगवान को शयन करते देख हाथ जोड़कर उनकी स्तुति करने लगे‍कि हे देवताओं द्वारा स्तुति करने योग्य प्रभो! आपको बारम्बार नमस्कार है, देवताओं की रक्षा करने वाले मधुसूदन! आपको नमस्कार है। आप हमारी रक्षा करें। दैत्यों से भयभीत होकर हम सब आपकी शरण में आए हैं। 
आप इस संसार के कर्ता, माता-पिता, उत्पत्ति और पालनकर्ता और संहार करने वाले हैं। सबको शांति प्रदान करने वाले हैं। आकाश और पाताल भी आप ही हैं। सबके पितामह ब्रह्मा, सूर्य, चंद्र, अग्नि, सामग्री, होम, आहुति, मंत्र, तंत्र, जप, यजमान, यज्ञ, कर्म, कर्ता, भोक्ता भी आप ही हैं। आप सर्वव्यापक हैं। आपके सिवा तीनों लोकों में चर तथा अचर कुछ भी नहीं है। 
हे भगवन्! दैत्यों ने हमको जीतकर स्वर्ग से भ्रष्ट कर दिया है और हम सब देवता इधर-उधर भागे-भागे फिर रहे हैं, आप उन दैत्यों से हम सबकी रक्षा करें। 
इंद्र के ऐसे वचन सुनकर भगवान विष्णु कहने लगे कि हे इंद्र! ऐसा मायावी दैत्य कौन है जिसने सब देवताअओं को जीत लिया है, उसका नाम क्या है, उसमें कितना बल है और किसके आश्रय में है तथा उसका स्थान कहाँ है? यह सब मुझसे कहो।
भगवान के ऐसे वचन सुनकर इंद्र बोले- भगवन! प्राचीन समय में एक नाड़ीजंघ नामक राक्षस थ उसके महापराक्रमी और लोकविख्यात मुर नाम का एक पुत्र हुआ। उसकी चंद्रावती नाम की नगरी है। उसी ने सब देवताअओं को स्वर्ग से निकालकर वहाँ अपना अधिकार जमा लिया है। उसने इंद्र, अग्नि, वरुण, यम, वायु, ईश, चंद्रमा, नैऋत आदि सबके स्थान पर अधिकार कर लिया है। 
सूर्य बनकर स्वयं ही प्रकाश करता है। स्वयं ही मेघ बन बैठा है और सबसे अजेय है। हे असुर निकंदन! उस दुष्ट को मारकर देवताओं को अजेय बनाइए।🌹🌹 जयश्री राम 🌹🌹