नूपुर शर्मा के बयान पर भारतीय राजदूत के समक्ष आपत्ति जताने वाले इस्लामी देशों में कतर और कुवैत भी हैं। बता दें कि कतर में कुल तीस लाख की जनसंख्या है जिसमें दस लाख यानी भारतीय हैं। लेकिन फिर वह इस्लामी राष्ट्र है और वहां सरकार शरियत से चलती है। कतर और कुवैत में शराब, पोर्क पर सख्त पाबंदी कतर में शराब, ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थों के सार्वजनिक इस्तेमाल की सख्त मनाही है। उल्लंघन करने पर कोड़े से पीटा जाता है। कतर में इसी वर्ष नवंबर-दिसंबर में फुटबॉल का वर्ल्ड कप होना है। इसको देखते हुए स्टेडियम के अंदर बियर और शराब की छूट देने की मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक सरकार ने कोई नरमी नहीं दिखाई है। खाने पीने की चीजों को लेकर भी कई तरह की पाबंदियां रहती हैं। (पोर्क) सुवर का मीट और उससे बने उत्पादों का प्रयोग बैन है। नियमों का उल्लंघन करने पर कड़ी सजा दी जाती है।
महिलाओं पर तमाम पाबंदियां कतर में पोर्नोग्राफी को लेकर भी कड़े नियम हैं। समलैंगिक संबंध रखने पर सात साल तक की सजा का प्रावधान है. शादी से इतर संबंधों की भी मनाही है. एमनेस्टी इंटरनेशनल की 2021 की रिपोर्ट दावा करती है कि महिलाओं को कतर में काफी भेदभाव का सामना करना पड़ता है. शादी, पढ़ाई, सरकारी स्कॉलरशिप, नौकरी, विदेश यात्रा जैसी बातों के लिए परिवार के पुरुष अभिभावक की मंजूरी जरूरी होती है. पति के हाथों पीड़ित होने के बावजूद शादीशुदा महिलाओं के लिए तलाक लेना आसान नहीं होता. तलाक मिलता भी है तो बच्चे की कस्टडी नहीं दी जाती. हालांकि सरकार इस रिपोर्ट के तथ्यों से इनकार करती रही है.कुवैत में शरिया का राज सऊदी अरब के उत्तर में बस छोटे से देश कुवैत की कुल आबादी करीब 45 लाख है. संविधान के अनुसार यहां का सरकारी धर्म इस्लाम है। हालांकि लोगों को अपने धर्म का पालन करने की छूट है, लेकिन वह स्थापित नियमों, परंपराओं और नैतिकता के विरुद्ध नहीं होने चाहिए। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी पर अमेरिका की 2021 की रिपोर्ट बताती है कि कुवैत में व्यक्ति धर्म कोई भी माने, लेकिन कुवैत में कानून-व्यवस्था भी शरिया के हिसाब से चलती है। ईशनिंदा पर सख्त सजा दी जाती है। कतर में चलता है शरिया कानून करीब 30 लाख की जनसंख्या वाले कतर में ज्यादातर आबादी गैर नागरिकों की है। भारत के 10 लाख से ज्यादा लोग वहां रहते हैं। कतर के मूल निवासियों में अधिकतर लोग सुन्नी मुस्लिम हैं, बाकी शिया मुसलमान हैं। कतर के संविधान के मुताबिक, इस्लाम यहां का मुख्य धर्म है और शरिया के हिसाब से कानून चलता है। शरीयत में बेहद सख्त नियम-कानूनों का पालन किया जाता है. इसी के अनुरूप कतर में भी लोगों पर तगड़ी पाबंदियां रहती हैं. इस्लाम और उससे जुड़े प्रतीकों के अपमान और ईशनिंदा को लेकर बेहद सख्ती बरती जाती है। इसके लिए सख्त सजा का प्रावधान है।
बता दें कि कुछ ही समय पहले तक कुवैत और कतर आदि अरब देशों की स्थिति दीन हीन कबीलों की थी लेकिन तेल बेचने के बाद इनकी आर्थिकी में भारी सुधार आया है।
परन्तु कानून आज भी वही चोदह सौ साल पुराने हैं। इसलिए इन देशों के बारे में कहावत है कि तेल खत्म खेल खत्म वापस पुराने ढर्रे पर जा सकते हैं।
कतर के पेट में दर्द है और दर्द है नूपुर शर्मा तो एक बहाना है 