“अदृश्य लोकतांत्रिक युद्ध में हमारा नेतृत्व”

“अदृश्य लोकतांत्रिक युद्ध में हमारा नेतृत्व”

फेसबुकिया हिन्दू चाहता है कि बिना त्याग और बलिदान राष्ट्रवाद विरोधी, हिंदुत्व विरोधी व अनेक छिपे हुए दुश्मनों के खिलाफ युद्ध जीत लिया जाए। इस अदृश्य लोकतांत्रिक युद्ध में अगर एक भी हिन्दू सैनिक बलिदान हुआ तो बाकी के फेसबुकिया हिन्दू सैनिक मिलकर अपने सेनापति के खिलाफ ही तलवारें भांजना शुरू कर देंगे।

आज मोदी से बड़े राष्ट्रवादी अर्णब गोस्वामी हो गए इसलिए हिन्दू सैनिक वो सारी बातें जो पिछले 6 वर्षों में हिंदुओ के लिए सेनापति द्वारा की गई है, भुलाकर अपने ही नेतृत्व को ही गालियां दे रहा है। सबक सिखाने की धमकी दे रहा है। युद्ध के मैदान में भावुकता किसी काम की नहीं होती। अर्णब गोस्वामी, मै या आप हम सभी जो राष्ट्रवाद, हिंदुत्व और बेहतर भविष्य के लिए आज लोकतांत्रिक ढंग से लड़ रहे है, वे एक सैनिक की भांति ही है।

मजे की बात ये है कि जिस अम्मी सेना के इशारों पर अर्नब का ये हस्र किया जा रहा है फेसबुकिया हिन्दुओं ने उनको सेफसाईट किया हुआ है और शिकवा शिकायत सिर्फ मोदी पर आ कर रूक गयी। कई फेसबुकिया हिन्दू यह भी नहीं मानेंगे कि हिंदुओ के भविष्य को सुरक्षित करने, राष्ट्रवाद व हिंदुत्व के लिए वर्तमान में कोई अदृश्य लोकतांत्रिक युद्ध चल भी रहा है।

देश में क्या सही हुआ है और क्या क्या अभी भी खराब है जिसे ठीक करना है, एक सैनिक के पकड़े जाने पर भावुक हिन्दू सैनिक ये नहीं देख पा रहा। उसे भावुकता में अभी सिर्फ साथी सैनिक का पकड़ा जाना ही दिख रहा है, और जिस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए युद्ध लड़ रहे है उससे भटक कर अर्णब को छुड़ाने के लिए मोदी/भाजपा को ही कुर्बान करने पर तुला है।

ये अदृश्य लोकतांत्रिक युद्ध लंबा चलने वाला है, और युद्ध कैसा भी हो बिना त्याग और बलिदान के नहीं जीते जाते। आज भाजपा के कार्यकर्ता बलिदान हो रहे है, अर्णब जैसे सैनिक पकड़े जा रहे है, कल इसमें मै या आप भी शामिल हो सकते है।

इस अदृश्य लोकतांत्रिक युद्ध में यह बात भी सत्य है कि लंबे समय तक सत्ता में रहकर ही इस युद्ध को जीत सकते है।

शतरंज की बिसात पर कभी कभी खेल जीतने के लिए अपने कुछ सैनिकों को कुर्बान भी करना पड़ता है। ये सार्वभौमिक सत्य है लेकिन अब इस कूटनीति का भी कुछ हिन्दू “कुत्तनीति” कहकर मज़ाक बनाएंगे।

लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि सेनापति अपने निजी फायदे या सत्ता में बने रहने के लिए अपने सैनिकों को कुर्बान कर रहा है।

हिन्दू ये भूल रहे है कि उनका नेतृत्व किसी सत्ता या भोग विलास का आकांक्षी नहीं, एक सन्यासी (मोदी) कर रहा है। जिसने अपना सब कुछ त्याग दिया है और हमारे लिए राष्ट्रवाद, हिंदुत्व व देश के बेहतर भविष्य के लिए अनेक प्रकार के दुश्मनों से लड़ रहा है।

मोदी ने हम बिखरे हुए हिंदुओ को एकजुट किया, इस अदृश्य लोकतांत्रिक युद्ध को लंबे समय तक लड़ने के लिए हमें जगाया, मोदी की शक्ति हम सभी हिन्दू ही तो है।

अगर मरने या पकड़े जाने से इतना ही डर लगता है, तो राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के लिए लड़ने का ढोंग करना बंद कर दो और अपने काम धंधे में मस्त रहो।

आलोचना कीजिए, लेकिन आलोचना भी एक सीमा तक ही अच्छी लगती है। किसी हिन्दू सैनिक के बलिदान होने पर या पकड़े जाने पर अपने ही सेनापति के खिलाफ ये “ओवर एक्टिविज़्म” बंद कीजिए।

विरोध करना ही है तो दुश्मन का कीजिए क्योंकि गलत उसने किया है, हमारे नेतृत्व ने नहीं। नेतृत्व तो राष्ट्रवाद, हिंदुत्व और उज्जवल भविष्य के लक्ष्य पर चलते हुए हमसे किए एक एक वादे को पूरा कर रहा है।

हमारे नेतृत्व की गलती इतनी ही है कि वे हमसे ज्यादा समझदार है और हमसे अधिक दांव पेंच व लाभ हानि जानते है, इसलिए वे हमारे हर “अनुचित इशारों” पर नहीं चल सकते।

कोई सेनापति ये कभी नहीं चाहता कि युद्ध में उसका एक भी सैनिक बलिदान हो या दुश्मन के हाथो पकड़ा जाए। बलिदान अक्सर पीड़ादायी होता है, सिर्फ फेसबुकिया हिन्दू वीरों के लिए नहीं, हमारे नेतृत्व के लिए भी होता है। लेकिन आज कल हिन्दू सैनिक उनकी संवेदनाओं का भी “कड़ी निंदा” “बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा” आदि आदि तंज करके मज़ाक बनाने लगे है।

यदि हिन्दुओं का आचरण ऐसा ही रहा तो हिन्दुओं लिए कभी कोई नहीं लड़ेगा, कभी कोई नहीं खड़ा होगा।

एक उदाहरण से इसे समझने का प्रयास करते हैं। अभिमन्यु जब तक नहीं मरा था , महाभारत का युद्ध धर्म युद्ध था ……. एक योद्धा से एक ही योद्धा लड़ता था …… निहत्थे पे वार नहीं किया जाता था …..रात में युद्ध नहीं होता था ……. पीठ पे वार नहीं होता था ……. रथी अगर पैदल हो जाये तो वार नहीं होता था ……गदायुद्ध में कमर के नीचे वार नहीं होता था ……

कृष्ण जानते थे कि धर्म मर्यादा में रह के युद्ध नहीं जीता जा सकता …….. धर्मयुद्ध में भीष्म द्रोण कर्ण और दुर्योधन जैसे महारथियों को परास्त करना बड़ा मुश्किल होगा ……अनेकों कौरवों ने मिल कर अकेले, निहत्थे, भूमि पर धराशायी अभिमन्यु को अधर्म पूर्वक मारा ……. अभिमन्यु के मरते ही कृष्ण के ऊपर से धर्मयुद्ध का भार / बंधन हट गया ……. अब युद्ध मे छल कपट झूठ सच अनीति अधर्म सब Allowed हो गया ……. अभिमन्यु वध के बाद जयद्रथ का वध कृष्ण के छल से हुआ …….. रात में युद्ध नहीं होगा , ये नियम तोड़ कर कृष्ण ने पांडव योद्धा घटोत्कच से रात में ही कौरव सेना पे आक्रमण करवा दिया ……..कर्ण की अमोघशक्ति से अर्जुन को बचाने के लिये घटोत्कच को आगे कर उसकी बलि ले ली, कर्ण को मजबूर कर दिया कि वो अमोघ शक्ति जो उसने अर्जुन के लिये बचा के रखी थी उसे घटोत्कच पे खर्च कर दे ……अर्जुन को बचाने के लिए कृष्ण ने भीम के पुत्र को मरने दिया …….आचार्य द्रोण का वध भी युधिष्ठिर से झूठ बुलवा के किया ……. कर्ण को जब मारा तो वो निहत्था और पैदल भी था …….. अंतिम दिन गदा युद्ध मे दुर्योधन जब भीम पे भारी पड़ने लगा तो कृष्ण ने भीम को इशारा किया ……. Foul खेल बेटा , जांघ तोड़ इसकी ……. Hit Below the Belt ……. धर्म युद्ध गया तेल लेने ……

मोदी अर्णव गोस्वामी को बचाने नहीं जाएंगे ।
पर इतना जान लीजिए कि अब Press को हाथ नहीं लगाना, ये नियम खत्म हो गया है ।
और ये नियम सोनिया और शरद पवार के नेतृत्व में उनके गुर्गे उद्धव ठाकरे ने खत्म किया है ।

आगे इन Press वालों को अब बहुत कुछ सहना पड़ेगा ।

अभिमन्यु मर चुका है ।
अब बारी जयद्रथ , द्रोण , कर्ण और दुर्योधन की है

अन्तिम बार कह रहा हूं… #TrustNaMo